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मन का कागज़ - लेखनी प्रतियोगिता -14-Apr-2022

मन का कागज़ होता है अति निर्मल
जिसमें लिखा हर अक्षर होता सबल।

 भाव इस पर करो कुछ ऐसे अंकित
 दुर्भावना की जिससे होे जाए इति।

मन के कागज पर लिखो न कटु बोल
प्रेम के अक्षर से भर डालो दिल खोल।

 शब्दों की गरिमा कभी मिटने ना पाए
 अनचाहे भाव दिल में जगह न पाए।

 बन भाव शिल्पी कागज को सजाओ
 मन के अंदर कागज की नाव चलाओ।

नवचेतना की स्याही भाव करे उजागर
सागर छोटे लगे छलके भाव की गागर।

मन का कागज़ हो चाँदनी-सा उज्ज्वल
मलिन न कर सके जगत का कोई मल।

डॉ. अर्पिता अग्रवाल

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15 Comments

K.K.KAUSHAL (Advocate)

15-Apr-2022 10:50 AM

Very nice

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Dr. Arpita Agrawal

15-Apr-2022 12:20 PM

Thanks a lot sir

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Shrishti pandey

15-Apr-2022 09:27 AM

Nice one

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Dr. Arpita Agrawal

15-Apr-2022 12:20 PM

Thank you Shrishti ji

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Abhinav ji

15-Apr-2022 08:42 AM

Nice👍

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Dr. Arpita Agrawal

15-Apr-2022 12:21 PM

Thank you Abhinav ji 😊

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